गुजरात का लोक नृत्य: गरबा
गरबा यानि कि एक प्रकार का नृत्य - डांडिया रास । गरबा नृत्य अथवा डांडिया रास , यह एक लोकनृत्य हैं जिसे पुरुषों तथा महिलाओं द्वारा किया जाता हैं मुख्यतः यह नृत्य डांडिया की सहायता से किया जाता है और डांडिया के बिना हाथों से ताली बजाकर भी किया जाता है, भारत के गुजरात राज्य को इस नृत्य का उद्गम क्षेत्र माना गया यही से ही इस नृत्य की शुरुआत हुई हैं ।
गरबा का शाब्दिक अर्थ संस्कृत के गर्भ शब्द से लिया गया है अथवा इसका शाब्दिक अर्थ गर्भ - दीप से भी होता है। यह नृत्य नारी के गर्भ की सृजन शक्ति का प्रतीक माना गया है ।
गरबा नृत्य गुजरात का एक अनूठा प्रदर्शन है जो कि 15 वीं शताब्दी से चला आ रहा है और यह नृत्य असल में गरबा नृत्य मिट्टी के एक मटके जिसे गरबो कहते हैं, उसमे जलते हुए दीपक को रख कर इसके चारों ओर महिलाओं का गोल गोल घूमते हुए हाथों से ताली बजा कर तथा हाथों में डांडिया लेकर इस नृत्य की प्रस्तुति देना ही गरबा नृत्य कहलाता था और गरबा नृत्य का जन्म एक दीपक के अनुसार माना गया है जिसे गर्भ दीप कहा गया है इस नृत्य की प्रस्तुति ठीक जलते हुए दीपक के तरह । जैसे कि बीच में जलते हुए दीपक की लौ और चारों तरफ दीपक के किनारे किनारे गोल महिलाओं का घूमते हुए नृत्य प्रस्तुति देना ।
गरबा दो प्रकार के होते हैं जिसमें एक प्रकार हाथों में लकड़ी की दो छोटी छोटी डांडिया लेकर आमने सामने डंडियों से मार कर किया जाता है (इन डांडियो की आनंदमय खनक) और दूसरा प्रकार अपने हाथों की सहायता से पास वाले साथी के साथ घूमते हुए नृत्य करना ।
गरबा नृत्य गुजरात का एक लोकप्रिय नृत्य है किंतु आज के युग में यह गुजरात में ही नहीं हो कर पूरे देश विदेश में भी कई समारोह में प्रस्तुत किए जाने वाला नृत्य बन गया है। वैसे तो यह नृत्य शरद पूर्णिमा, बसंत पंचमी, होली के त्यौहार पर तथा विवाह समारोह में किया जाता हैं किंतु नवरात्र में इसे बड़े धूमधाम से किया जाता है क्योंकि देशभर में गरबा अथवा डांडिया रास का रंग चारों ओर ऐसे बिखरने लगा कि हर शहर में और गांव में इस नृत्य को नवरात्रि के नो ही दिनों में माता रानी को खुश करने के लिए किया जाता है।
नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा की मूर्ति के आगे महिलाएं और पुरुष और अब तो बच्चे भी इस नृत्य को बड़ी खूबसूरत पारंपरिक पोशाक पहनकर और गुजराती आभूषण पहनकर इसे बड़े चाव से करते हैं । माना जाता है कि मां दुर्गा को खुश करने के लिए एक यह उपाय भी अच्छा माना जाता है तथा शास्त्रों में भी इस नृत्य को साधना का एक वह मार्ग बताया गया है जिसके माध्यम से हम मां अंबे - मां दुर्गा को नवरात्रा में प्रसन्न कर सकते हैं।
गरबा का शाब्दिक अर्थ गर्भ दीप जोकि नारी के गर्भ की सृजन शक्ति का प्रतीक माना गया है और इस शक्ति की देवी मां दुर्गा को मान कर सभी भक्त लोग शक्ति स्वरूप में मां दुर्गा की पूजा करते है। इस नृत्य से माता रानीके जुड़े होने से सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता हैं इसलिए लोग इसे शुभ मानते हैं और नवरात्रि के अवसर पर महिलाएं अक्सर सुंदर- स्वच्छ वस्त्र (चनिया चोली) और आभूषण पहन कर तथा पुरुष सिर पर पगड़ी धोती कुर्ता पहनकर राधा कृष्णा से जुड़े गीतों पर समूह में इस नृत्य को कर के आनंद की अनुभूति प्राप्त करते हैं।
गुजराती गरबा गाने के lyrics (बोल)
ढोलीडा ढोल तू धीमे वगाड ना, धीमे वगाड ना,
राधियाडी रातदिनों जोजे रंग जाय न, जोजे रंग जाय न,
धरूजे ना धरती तो रमझट केवाय ना, रमझट केवाय ना,
राधियाडी रातदिनों जोजे रंग जाय न, जोजे रंग जाय
पूनमनी रातदिने आंखड़ी धेराय ना,
राधियाडी रातदिनों जोजे रंग जाय न, जोजे रंग जाय न,
हो..... चमकती चाल अने घुंघरि धमकार
हो..... नूपुर ना नाद साथै ताडियो ना ताल
गरबे घूमता माँ ने कोइथी पहोचायना , कोइथी पहोचायना
राधियाडी रातदिनों जोजे रंग जाय न, जोजे रंग जाय न,
हो .... वांकडिया वाद आने तिलड़ी ललाट
हो .... मोगरानी वेणीमा सोभे गुलाल
निरखि निरखिने मारु मांडू धराव ना ,मांडू धराव ना
राधियाडी रातदिनों जोजे रंग जाय न, जोजे रंग जाय न,
हो .... सोले शृंगार साजि , रुपनो अम्बर बानी
हो .... प्रेमनु आंजन अंजी ,आवि छे माड़ी मारी
आचि आचि ओढ़नी माँ रूप माँ नु माय ना ,तेज माँ नु माव ना
राधियाडी रातदिनों जोजे रंग जाय न, जोजे रंग जाय न,
ढोलीडा ढोल तू धीमे वगाड ना, धीमे वगाड ना,
राधियाडी रातदिनों जोजे रंग जाय न, जोजे रंग जाय न...
ઢોલીડા ઢોલ ધીમો વગાડ મા Lyrics in Gujarati
ઢોલીડા ઢોલ ધીમો ધીમો વગાડ નાં, ધીમો વગાડ નાં
રઢીયાળી રાતડી નો , જોજે રંગ જાય નાં (૨)
ધ્રુજે ના ધરતી તો રમઝટ કહેવાય નાં,
રમઝટ કહેવાય નાં
રઢીયાળી રાતડી નો, જોજે રંગ જાય નાં
પૂનમ ની રાતડી ને આંખડી ઘેરાય નાં,
આંખડી ઘેરાય નાં
રઢીયાળી રાતડી નો, જોજે રંગ જાય ના
ઢોલીડા ઢોલ ધીમો ધીમો…..
હો... ચકમકતી ચાલ અને ઘૂઘરી નો ઘમકાર
નૂપુર ના નાદ સાથે તાળીયો ના તાલ
ગરબામાં ઘૂમતા માં ને ( કોઇથી પહોચાય નાં ...૨)
રઢીયાળી રાતડી નો, જોજે રંગ જાય નાં
ઢોલીડા ઢોલ ધીમો ધીમો…..
હો... વાંકડિયા વાળ અને ટીલડી લલાટ
મોગરાની વેણી માં શોભે ગુલાબ
નીરખી નીરખી ને મારું (મનડું ધરાય ના... ૨)
રઢીયાળી રાતડી નો, જોજે રંગ જાય નાં
ઢોલીડા ઢોલ ધીમો ધીમો…..
હો... સોળે શણગાર સજી, રૂપનો અંબાર બની
પ્રેમનું આંજણ આંજી, આવી છે માડી મારી
આછી આછી ઓઢણી માં (રૂપ માનું માય નહી ...૨)
રઢીયાળી રાતડી નો, જોજે રંગ જાય નાં
ઢોલીડા ઢોલ ધીમો ધીમો….
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